वृन्दावन के प्रमुख मंदिर और दर्शनीय स्थल
वृन्दावन उत्तर प्रदेश राज्य में मथुरा जिले में स्थित एक महत्वपूर्ण धार्मिक और आध्यात्मिक स्थान है। यह भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं का प्रमुख स्थल माना जाता है। यहां की प्रमुख विशेषताएं और दर्शनीय स्थल निम्नलिखित हैं:
- बांके बिहारी मंदिर: यह वृन्दावन का सबसे प्रसिद्ध मंदिर है, जो भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित है।
- प्रेम मंदिर: यह एक भव्य मंदिर है, जो भगवान राधा-कृष्ण और उनके विभिन्न रूपों को समर्पित है।
- इस्कॉन मंदिर: इस्कॉन वृन्दावन में एक महत्वपूर्ण आकर्षण है, जहाँ भक्त और पर्यटक बड़ी संख्या में आते हैं।
- राधा दामोदर मंदिर: यह मंदिर भी वृन्दावन के प्रमुख मंदिरों में से एक है और यहाँ भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी की पूजा होती है।
- निधिवन: यह एक रहस्यमय वन है, जहाँ कहा जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी रात में रासलीला करते हैं।
वृन्दावन में धार्मिक गतिविधियों के अलावा पर्यटकों को यहाँ की शांत और पवित्र वातावरण का अनुभव करने का भी अवसर मिलता है।
वृन्दावन रहस्य
वृन्दावन में कई रहस्य और दिव्य कथाएं जुड़ी हुई हैं, जो इसे धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से अद्वितीय बनाते हैं। इनमें से कुछ प्रमुख रहस्यों और कथाओं के बारे में यहां जानकारी दी गई है:
निधिवन का रहस्य
निधिवन वृन्दावन का सबसे रहस्यमय स्थान माना जाता है। यहां भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी की रासलीलाओं का रहस्य छुपा हुआ है।
- रात्रिकालीन लीला: कहा जाता है कि निधिवन में रात के समय भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी अपने गोपियों के साथ रासलीला करते हैं। इसलिए, यहां रात के समय किसी को भी रुकने की अनुमति नहीं है। जो भी रात में यहां रुकता है, वह या तो पागल हो जाता है या उसकी मृत्यु हो जाती है।
- प्राकृतिक संरचना: निधिवन के पेड़ और पौधे दिव्य रूप से माने जाते हैं। यहां के वृक्ष और बेलें इस प्रकार से मुड़ी हुई हैं, जैसे वे भगवान की लीलाओं का साक्षात्कार कर रही हों।
वृन्दावन के यमुना तट का रहस्य
वृन्दावन में यमुना नदी का तट भी रहस्यमय और दिव्य घटनाओं का साक्षी है।
- कालीदह का रहस्य: यह वह स्थान है जहाँ भगवान श्रीकृष्ण ने कंस के भेजे हुए कालिया नाग को पराजित किया था। इस स्थान को कालीदह कहा जाता है, और यहाँ की यमुना में आज भी कोई स्नान नहीं करता।
- जलसमाधि: कहा जाता है कि कई संतों ने यमुना के तट पर जलसमाधि ली है और यहाँ के जल में दिव्य शक्तियाँ हैं।
श्री राधा रमण मंदिर का रहस्य
श्री राधा रमण मंदिर भी अपने आप में रहस्यमय और दिव्य घटनाओं का केंद्र है।
- स्वयंभू मूर्ति: इस मंदिर में प्रतिष्ठित श्री राधा रमण जी की मूर्ति स्वयंभू (स्वयं प्रकट) मानी जाती है। यह मूर्ति गोपाल भट्ट गोस्वामी के तप और भक्ति से प्रकट हुई थी।
- प्रसाद का रहस्य: यहाँ के प्रसाद का वितरण भी विशेष तरीके से होता है, और कहा जाता है कि इसे ग्रहण करने से भक्तों के कष्ट दूर हो जाते हैं।
बांके बिहारी मंदिर का रहस्य
बांके बिहारी मंदिर में भगवान श्रीकृष्ण की दिव्य प्रतिमा का विशेष रहस्य है।
- दर्शन की विशेषता: भगवान बांके बिहारी जी की प्रतिमा के दर्शन के दौरान पर्दे को बार-बार खींचा जाता है। कहा जाता है कि यदि भगवान की मूर्ति को लगातार देखा जाए तो वे भक्तों के साथ चले जाते हैं।
- आरती का रहस्य: इस मंदिर में आरती का समय और तरीका भी विशेष है, जो अन्य मंदिरों से भिन्न है।
अद्भुत घटनाएँ और चमत्कार
वृन्दावन में कई संतों और भक्तों ने अद्भुत घटनाओं और चमत्कारों का अनुभव किया है। यह स्थान आज भी भक्तों के लिए दिव्य प्रेरणा का स्रोत बना हुआ है।
ये रहस्य और दिव्य कथाएं वृन्दावन की धार्मिक और आध्यात्मिक महत्ता को और भी बढ़ाती हैं। यहाँ का हर स्थान, हर मंदिर और हर कथा भक्तों के लिए गहन आध्यात्मिक अनुभव का स्रोत है।
वृन्दावन के सबसे प्रसिद्ध संतों में शामिल हैं:
- स्वामी हरिदास: श्री बांके बिहारी जी के प्रकट होने के प्रमुख संत माने जाते हैं। उन्होंने अपने भजन और कीर्तन के माध्यम से वृन्दावन को धार्मिक महत्त्व दिया।
- चैतन्य महाप्रभु: उन्होंने वृन्दावन में भक्ति आंदोलन को बढ़ावा दिया और श्रीकृष्ण भक्ति का प्रचार किया।
- स्वामी श्री हित हरिवंश जी: उन्होंने राधा-कृष्ण भक्ति को जन-जन तक पहुँचाया और वृन्दावन में कई मंदिरों की स्थापना की।
- श्रीवल्लभाचार्य: उन्होंने पुष्टिमार्ग भक्ति का प्रचार किया और गोवर्धन पर्वत के पास अपने अनुयायियों के साथ वृन्दावन में रहे।
- स्वामी विवेकानंद: उन्होंने भी वृन्दावन में समय बिताया और अपने विचारों के माध्यम से लोगों को प्रभावित किया।
- मीराबाई: भले ही वे राजस्थान की राजकुमारी थीं, मीराबाई ने अपने जीवन का एक बड़ा हिस्सा वृन्दावन में भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति में बिताया।
ये संत वृन्दावन की धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत को समृद्ध बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
वृन्दावन के सबसे प्रसिद्ध संत और उनके स्थान:
- स्वामी हरिदास जी
- स्थान: श्री बांके बिहारी मंदिर
- विवरण: स्वामी हरिदास जी ने श्री बांके बिहारी जी को प्रकट किया और वृन्दावन में भक्ति की अलौकिक लहर फैलाई। उनकी साधना स्थली निधिवन में स्थित है।
- चैतन्य महाप्रभु
- स्थान: इमली तला (इमलीघाट) और केशी घाट
- विवरण: चैतन्य महाप्रभु ने वृन्दावन में रहकर श्रीकृष्ण भक्ति का प्रचार किया और यहाँ की पवित्र भूमि को अपनी तपस्या से पवित्र किया।
- स्वामी श्री हित हरिवंश जी
- स्थान: राधा बल्लभ मंदिर
- विवरण: स्वामी श्री हित हरिवंश जी ने राधा-कृष्ण भक्ति को बढ़ावा दिया और वृन्दावन में राधा बल्लभ संप्रदाय की स्थापना की।
- श्रीवल्लभाचार्य
- स्थान: श्रीनाथजी मंदिर (गोवर्धन) और गोविंदघाट
- विवरण: श्रीवल्लभाचार्य ने पुष्टिमार्ग भक्ति का प्रचार किया और गोवर्धन पर्वत के पास अपने अनुयायियों के साथ समय बिताया।
- स्वामी विवेकानंद
- स्थान: रामकृष्ण मिशन सेवाश्रम
- विवरण: स्वामी विवेकानंद ने भी वृन्दावन में समय बिताया और यहाँ के संतों और भक्तों से प्रेरणा ली।
- मीराबाई
- स्थान: मीराबाई मंदिर
- विवरण: मीराबाई ने अपने जीवन का एक बड़ा हिस्सा वृन्दावन में भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति में बिताया। यहाँ उनका एक मंदिर भी है जो उनकी स्मृति में बना है।
ये संत वृन्दावन की धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत को समृद्ध बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और उनकी साधना स्थली आज भी भक्तों के लिए प्रेरणा स्रोत हैं।
वृन्दावन पर दोहे:
- राधा रानी संग खेलत, कृष्ण कन्हैया रंग। वृन्दावन की कुंज गलिन, बसी अनोखी भंग।
- बंसी की धुन सुनि सखी, वृन्दावन में धाव। राधा संग मोहन सदा, रास रचावत भाव।
- यमुना तट पर रास रच, गोपियाँ गावत गीत। वृन्दावन की रज मिले, होवे जीवन पावन शीत।
- बांके बिहारी लाल की, लीला अपरम्पार। वृन्दावन में आन बसी, जगत में हो उद्धार।
- राधा-कृष्ण की जोड़ी, वृन्दावन में धाम। भक्त जनन की आसरा, पूर्ण करे हर काम।
ये दोहे वृन्दावन की पवित्रता और उसकी धार्मिक महत्ता को दर्शाते हैं। वृन्दावन में श्रीकृष्ण और राधा रानी की लीलाओं का अनोखा वर्णन है।
वृन्दावन के प्रमुख मंदिरों के दर्शन और पूजा के समय निम्नलिखित हैं:
बांके बिहारी मंदिर पूजा के समय टेम्पल टाइमिंग्स
- मंगल आरती: सर्दियों में सुबह 7:45 बजे, गर्मियों में सुबह 7:30 बजे
- दर्शन समय:
- सर्दियों में:
- सुबह: 8:45 बजे से 12:00 बजे तक
- शाम: 4:30 बजे से 8:30 बजे तक
- गर्मियों में:
- सुबह: 7:45 बजे से 12:00 बजे तक
- शाम: 5:30 बजे से 9:30 बजे तक
- सर्दियों में:
प्रेम मंदिर पूजा के समय टेम्पल टाइमिंग्स
- दर्शन समय:
- सुबह: 5:30 बजे से 12:00 बजे तक
- शाम: 4:30 बजे से 9:30 बजे तक
इस्कॉन मंदिर (कृष्ण बलराम मंदिर) पूजा के समय टेम्पल टाइमिंग्स
- मंगल आरती: सुबह 4:30 बजे
- दर्शन समय:
- सुबह: 4:30 बजे से 1:00 बजे तक
- शाम: 4:00 बजे से 9:00 बजे तक
श्री राधा रमण मंदिर
पूजा के समय टेम्पल टाइमिंग्स
- मंगल आरती: सुबह 4:00 बजे
- दर्शन समय:
- सुबह: 8:00 बजे से 12:30 बजे तक
- शाम: 6:00 बजे से 8:00 बजे तक
राधा दामोदर मंदिर पूजा के समय टेम्पल टाइमिंग्स
- मंगल आरती: सुबह 4:30 बजे
- दर्शन समय:
- सुबह: 6:30 बजे से 12:00 बजे तक
- शाम: 4:00 बजे से 8:30 बजे तक
श्री गोविंद देव जी मंदिर पूजा के समय टेम्पल टाइमिंग्स
- मंगल आरती: सुबह 5:00 बजे
- दर्शन समय:
- सुबह: 5:00 बजे से 12:00 बजे तक
- शाम: 4:00 बजे से 9:00 बजे तक
निधिवन (रासलीला स्थल) पूजा के समय टेम्पल टाइमिंग्स
- दर्शन समय:
- सुबह: 5:00 बजे से 12:00 बजे तक
- शाम: 4:00 बजे से 8:00 बजे तक
कृपया ध्यान दें कि समय में परिवर्तन हो सकता है, और विशेष त्योहारों और अवसरों पर मंदिर के समय बदल सकते हैं। मंदिरों में दर्शन के समय और आरती के समय को सुनिश्चित करने के लिए, यात्रा से पहले संबंधित मंदिर की आधिकारिक वेबसाइट या स्थानीय स्रोतों से जानकारी प्राप्त करना उचित होगा।
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वृन्दावन महिमा श्लोक
वृन्दावन(wikipedia) की महिमा को दर्शाने वाले कुछ श्लोक और भजन धार्मिक साहित्य में व्यापक रूप से पाए जाते हैं। यहाँ एक प्रसिद्ध श्लोक प्रस्तुत किया जा रहा है जो वृन्दावन की महिमा का वर्णन करता है:
श्रीमद्-वृन्दाटवी-मूल-निकुञ्जे
विहारानुकूलं मुहुः कामबीजम्।
मधुर्योपेतं सदा सेवनीयम्
सदा वृन्दावनं मे मनोऽस्तु॥
यदा सन्निधत्ते तदीयं महेशो
व्रजेन्द्रात्मजं गौरवं शर्वरीषु।
तदा वंशनादं सुखं वा करोति
सदा वृन्दावनं मे मनोऽस्तु॥
व्रजप्रायान्ते सदा चित्तवृत्त्यैः
स्वधिष्ण्ये निवासाय भिक्षा-रतायः।
कदा श्रीमद्भागवतातिथायैः
सदा वृन्दावनं मे मनोऽस्तु॥
शुकाद्यैः कदाचित्तदा यत्प्रसादात्
क्वचित्स्वप्रसादं लभन्ते कदाचित्।
कदा वा रसेन स्वयं श्रीमुखं च
सदा वृन्दावनं मे मनोऽस्तु॥
व्रजे यत्परं पद्मजा शुद्धभावात्
कदा श्रीमद्भागवतं श्रावयन्ती।
कदा वा सदा राधिका प्रीतमाने
सदा वृन्दावनं मे मनोऽस्तु॥
कदा वा सदा रासलीलावतारे
सदा श्रीकृष्णेन युक्तं विधातुम्।
सदा वृन्दावनं कृष्णलीलातु
सदा वृन्दावनं मे मनोऽस्तु॥
व्रजे तत्त्वजिज्ञासयास्मिन्मुहूर्ते
स्वधर्मेण सन्निद्धयो ब्रह्मणां यत्।
कदा श्रीमद्भागवतानन्ददं च
सदा वृन्दावनं मे मनोऽस्तु॥
तदा राधया चाभिसंयोगिनि श्रीकृष्णेन
युक्तं सदा चित्तवृत्त्या।
सदा वृन्दावनं श्रीहरेः सन्निधत्तु
सदा वृन्दावनं मे मनोऽस्तु॥
वृन्दावन में कई पर्यटन स्थल हैं जो धार्मिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व रखते हैं। यहां कुछ प्रमुख पर्यटन स्थलों की जानकारी दी गई है:
प्रमुख मंदिर
- बांके बिहारी मंदिर
- प्रेम मंदिर
- इस्कॉन मंदिर
- श्री राधा रमण मंदिर
- राधा दामोदर मंदिर
वृन्दावन के प्रमुख घाट
- केशी घाट:
- यह यमुना नदी के तट पर स्थित है और कहा जाता है कि यहाँ भगवान कृष्ण ने केशी राक्षस का वध किया था। यह घाट अपनी सुंदरता और शांत वातावरण के लिए प्रसिद्ध है।
- बंसीवट:
- यह वह स्थान है जहाँ भगवान कृष्ण ने अपनी बांसुरी बजाई थी और गोपियाँ उनकी ओर खिंच आई थीं।
वृन्दावन के प्रमुख वन और उद्यान
- निधिवन:
- यह एक रहस्यमय और पवित्र वन है, जहाँ कहा जाता है कि भगवान कृष्ण और राधा रानी रात में रासलीला करते हैं। यहाँ रात्रि में कोई नहीं रुकता।
- सेवा कुंज:
- यह भी एक पवित्र स्थान है, जहाँ राधा और कृष्ण ने कई लीलाएँ कीं। यहाँ भक्तजन सेवा और ध्यान करने आते हैं।
वृन्दावन के संग्रहालय
- भगवान श्रीकृष्ण जन्मभूमि संग्रहालय:
- यह संग्रहालय भगवान कृष्ण के जीवन और उनकी लीलाओं को दर्शाता है। यहाँ कई प्राचीन मूर्तियाँ, चित्र और अन्य वस्तुएँ प्रदर्शित की गई हैं।
वृन्दावन के अन्य प्रमुख स्थल
- गोवर्धन पर्वत:
- यह पर्वत भगवान कृष्ण द्वारा गोवर्धन पूजा के समय उठाए जाने के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ गोवर्धन परिक्रमा करने के लिए भक्तजन आते हैं।
- राधा वल्लभ मंदिर:
- यह मंदिर स्वामी हरिवंश जी द्वारा स्थापित किया गया था और यहाँ राधा-कृष्ण की भक्ति का प्रचार किया जाता है।
वृन्दावन में धार्मिक स्थलों के अलावा भी कई स्थान हैं जहाँ पर्यटक आकर आध्यात्मिक शांति और आनंद की अनुभूति कर सकते हैं। यह स्थान भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं का साक्षी है और यहाँ की हर गली, हर मंदिर और हर वन भगवान की दिव्य कथाओं से गुंथे हुए हैं।
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