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गुनाहों का देवता (Gunahon Ka Devta) – धर्मवीर भारती

गुनाहों का देवता

“गुनाहों का देवता” डॉ. धर्मवीर भारती द्वारा लिखा गया एक प्रसिद्ध हिंदी उपन्यास है, जो 1969 में प्रकाशित हुआ था। इस उपन्यास में प्रेम और नैतिकता के जटिल मुद्दों को बहुत ही गहराई से पेश किया गया है।

कहानी के मुख्य पात्र हैं चंद्रमोहन और सुनीति। चंद्रमोहन एक युवा है, जो उच्च मानक और परंपराओं का पालन करता है, जबकि सुनीति एक समाज के दबावों का सामना कर रही होती है। उपन्यास इन दोनों के प्रेम कहानी के इर्द-गिर्द घूमता है और यह दिखाता है कि कैसे समाज की नैतिकता और व्यक्तिगत इच्छाओं के बीच संघर्ष होता है।

यह उपन्यास भारतीय समाज की सामाजिक और सांस्कृतिक परिस्थितियों का सूक्ष्म विश्लेषण प्रस्तुत करता है और इसके पात्रों की मानसिकता और भावनाओं की गहराई को उजागर करता है। “गुनाहों का देवता” को भारतीय साहित्य का एक महत्वपूर्ण और क्लासिक उदाहरण माना जाता है।

गुनाहों का देवता- धर्मवीर भारती

गुनाहों का देवता पूरी कहानी सारांश

“गुनाहों का देवता” की पूरी कहानी को संक्षेप में इस प्रकार समझा जा सकता है:

कहानी का केंद्र चंद्रमोहन और सुनीति नामक दो प्रमुख पात्रों के चारों ओर घूमता है।

कहानी का सारांश:

  1. चंद्रमोहन और सुनीति की मुलाकात: चंद्रमोहन, जो एक उच्चवर्गीय परिवार से है और सामाजिक आदर्शों का पालन करता है, सुनीति के साथ मिलता है। सुनीति एक मध्यमवर्गीय परिवार की बेटी है और उसके जीवन में कई सामाजिक चुनौतियाँ हैं। चंद्रमोहन और सुनीति के बीच प्यार विकसित होता है, लेकिन उनकी स्थिति और समाज की अपेक्षाएँ उनके प्रेम को चुनौती देती हैं।
  2. समाजिक दबाव और संघर्ष: कहानी में मुख्य संघर्ष सामाजिक मान्यताओं और व्यक्तिगत इच्छाओं के बीच होता है। चंद्रमोहन और सुनीति का प्रेम समाज की पारंपरिक धारणाओं और दबावों के खिलाफ है। चंद्रमोहन की उच्च सामाजिक स्थिति और सुनीति की गरीबी के कारण उनके रिश्ते को स्वीकार्यता नहीं मिलती।
  3. विवाह का प्रस्ताव और परिवार की भूमिका: चंद्रमोहन के परिवार को जब पता चलता है कि वह सुनीति के साथ रिश्ते में है, तो वे इस रिश्ते को अस्वीकार कर देते हैं। चंद्रमोहन को अपने परिवार और समाज के दबाव का सामना करना पड़ता है। उसकी स्थिति और अधिक जटिल हो जाती है जब वह महसूस करता है कि वह सुनीति के साथ रहने के लिए परिवार और समाज की अपेक्षाओं को त्यागना पड़ेगा।
  4. आंतरिक संघर्ष और निर्णय: चंद्रमोहन और सुनीति अपने-अपने जीवन में आंतरिक संघर्ष से गुजरते हैं। चंद्रमोहन को यह समझ में आता है कि समाज और परिवार की अपेक्षाओं के चलते उनका प्रेम पूरा नहीं हो सकता।
  5. अंतिम निर्णय और निष्कर्ष: अंततः, चंद्रमोहन और सुनीति अपने-अपने रास्ते अलग कर लेते हैं। चंद्रमोहन समाज और परिवार के दबावों को अपनाते हुए अपने जीवन की जिम्मेदारियाँ निभाता है, जबकि सुनीति भी अपने जीवन में आगे बढ़ जाती है। उनकी प्रेम कहानी एक आदर्श प्रेम कथा के रूप में समाप्त होती है, जो समाज की परंपराओं और व्यक्तिगत इच्छाओं के बीच के संघर्ष को उजागर करती है।

“गुनाहों का देवता” समाज की नैतिकता और व्यक्तिगत इच्छाओं के बीच के संघर्ष को बहुत ही संवेदनशीलता और गहराई से चित्रित करता है। यह उपन्यास प्रेम और सामाजिक दबावों की जटिलताओं को बखूबी दर्शाता है और भारतीय साहित्य में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है।

गुनाहों का देवता उपन्यास के लेखक कौन है?

गुनाहों का देवता उपन्यास के लेखक डॉ धर्मवीर भारती है। का जीवन परिचय

डॉ. धर्मवीर भारती (1926-1997) हिंदी साहित्य के प्रमुख लेखक और कवि थे। उनकी जीवनी का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है:

  • जन्म: 25 दिसंबर 1926, प्रयागराज, उत्तर प्रदेश, भारत।
  • शिक्षा: उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से हिंदी में एमए और फिर पीएचडी की डिग्री प्राप्त की।
  • लेखन कैरियर: धर्मवीर भारती ने अपने साहित्यिक करियर की शुरुआत कवि के रूप में की और जल्द ही उपन्यासकार, नाटककार, और पत्रकार के रूप में भी पहचान बनाई। उनके लेखन में समाज की समस्याओं, प्रेम और मानवीय संबंधों की गहरी छानबीन होती है।
  • प्रमुख कृतियाँ: उनकी प्रसिद्ध कृतियों में उपन्यास “गुनाहों का देवता,” “अंगार,” और “विधान,” और काव्य संग्रह “नंदन” शामिल हैं।
  • पुरस्कार और सम्मान: उनके साहित्यिक योगदान के लिए उन्हें कई पुरस्कार और सम्मान प्राप्त हुए, जिनमें साहित्य अकादमी पुरस्कार भी शामिल है।
  • मृत्यु: 4 जनवरी 1997 को इलाहाबाद में उनका निधन हो गया।

डॉ. धर्मवीर भारती का लेखन समाज और मानवता के प्रति उनकी गहरी संवेदनशीलता को दर्शाता है और उनकी कृतियाँ आज भी हिंदी साहित्य के महत्वपूर्ण हिस्से के रूप में मान्यता प्राप्त हैं।

 

धर्मवीर भारती गुनाहों का देवता PDF Link

 

गुनाहों का देवता (उपन्यास) – विकिपीडिया – Wikipedia

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