maharana pratap history in hindi

Maharana pratap History and Full Story Details in HIndi

Maharana Pratap

महाराणा प्रताप (9 मई 1540 – 29 जनवरी 1597) भारतीय इतिहास के महान योद्धाओं में से एक थे। वे मेवाड़ के 13वें राजा थे, जिन्होंने अपने जीवन में स्वाभिमान और स्वतंत्रता की अद्वितीय मिसाल पेश की। महाराणा प्रताप का जन्म 9 मई 1540 को राजस्थान के कुंभलगढ़ में हुआ था। उनके पिता का नाम महाराणा उदय सिंह द्वितीय और माता का नाम रानी जयवंताबाई था।

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Maharana Pratap Original Image

Maha Rana Pratap Early Life

महाराणा प्रताप का बचपन मेवाड़ के राजसी माहौल में बीता, जहाँ उन्हें युद्ध कौशल और प्रशासन की शिक्षा दी गई। वे बचपन से ही वीर, साहसी और राष्ट्रप्रेमी थे। महाराणा प्रताप का विवाह अजबदे पंवार से हुआ था, जिनसे उन्हें अमर सिंह नाम का पुत्र प्राप्त हुआ।

Maharana Pratap -King of Mewar मेवाड़ का राजा

महाराणा उदय सिंह की मृत्यु के बाद, 1572 में महाराणा प्रताप ने मेवाड़ की गद्दी संभाली। उस समय मेवाड़ पर मुगल सम्राट अकबर की नजर थी, जिसने महाराणा प्रताप को अपने अधीन करने के कई प्रयास किए, लेकिन महाराणा प्रताप ने हमेशा स्वतंत्रता को प्राथमिकता दी और कभी अकबर की अधीनता स्वीकार नहीं की।

Battle of Haldighati हल्दीघाटी का युद्ध

1576 में, अकबर और महाराणा प्रताप के बीच हल्दीघाटी का प्रसिद्ध युद्ध हुआ। इस युद्ध में महाराणा प्रताप ने अपनी छोटी सेना के बावजूद मुगल सेना का डटकर मुकाबला किया। हालांकि यह युद्ध निर्णायक नहीं था, लेकिन महाराणा प्रताप की वीरता ने उन्हें अमर कर दिया। युद्ध के दौरान महाराणा प्रताप का वफादार घोड़ा चेतक घायल हो गया था, लेकिन उसने अपने स्वामी को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया और वीरगति को प्राप्त हुआ।

Struggle and Spirit of Freedom -संघर्ष और स्वतंत्रता की भावना

हल्दीघाटी के युद्ध के बाद भी महाराणा प्रताप ने कभी हार नहीं मानी। वे जंगलों और पहाड़ों में संघर्ष करते रहे, लेकिन मेवाड़ की स्वतंत्रता को बनाए रखा। उन्होंने गोरिल्ला युद्ध की नीति अपनाई और मुगलों को परेशान करते रहे। महाराणा प्रताप ने कई दुर्गों को पुनः जीत लिया और मेवाड़ को फिर से सशक्त किया।

Maharana Pratap Last time – अंतिम समय

महाराणा प्रताप का जीवन संघर्षों और वीरता से भरा हुआ था। 29 जनवरी 1597 को, 56 वर्ष की आयु में, चावंड में महाराणा प्रताप का निधन हुआ। अपने जीवन के अंत तक वे मेवाड़ की स्वतंत्रता के लिए समर्पित रहे। उनका जीवन हमें यह सिखाता है कि स्वतंत्रता और स्वाभिमान के लिए किसी भी प्रकार का संघर्ष आवश्यक है।

महाराणा प्रताप की गाथा आज भी भारतीय इतिहास में वीरता, आत्मसम्मान और राष्ट्रप्रेम की मिसाल के रूप में याद की जाती है।

Maharana Pratap History – महाराणा प्रताप का इतिहास

महाराणा प्रताप का नाम भारतीय इतिहास में वीरता और स्वतंत्रता के प्रतीक के रूप में सदियों तक याद रखा जाएगा। वे मेवाड़ के 13वें राजा थे, जिन्होंने अपने राज्य और सम्मान की रक्षा के लिए कभी भी मुगलों के सामने झुकना स्वीकार नहीं किया।

अंतिम दिन और विरासत

महाराणा प्रताप ने अपने जीवन का अधिकांश समय संघर्ष में बिताया। 29 जनवरी 1597 को चावंड में 56 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया। अपने जीवन के अंत तक उन्होंने मेवाड़ की स्वतंत्रता के लिए संघर्ष किया। उनके निधन के बाद भी, उनकी वीरता और स्वाभिमान की कहानियां आज भी भारत में गूंजती हैं।

महाराणा प्रताप की वीरता, धैर्य, और स्वतंत्रता के प्रति उनकी अडिग निष्ठा ने उन्हें भारतीय इतिहास में अमर बना दिया है। उनका जीवन हमें यह सिखाता है कि राष्ट्र और सम्मान की रक्षा के लिए किसी भी संघर्ष से पीछे नहीं हटना चाहिए।

Maharana Pratap Wikipedia Details Official Link

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